मुझे नहीं चाहिए बेटियां ?
क्या जरुरत है ,मुझे बेटी की ,
मिल गयी माँ यही काफी है
मिल गयी पत्नी यही काफी है ,
इसी तरह मिल जाएँगीं,
मेरे बेटों को भी बहुए ,तभी तो
नहीं चाहिए मुझे बेटियां
हे प्रभु सभी को देना एक एक बेटी
पर मुझे नहीं ,"तांकि"
तांकि कह सकूँ लोगों से
बेटी बचाओ -बेटी बचाओ
लगा सकू यही रट हर जगह
भाषण में, टीवी पर, अख़बार में पर
नहीं चाहिए मुझे बेटियां
नहीं बन सकता मै
देखा दुनी का अमिताभ
(क्या आप मेरी इस सोच को बदल सकते हैं उपाय जरुर बताये )
*मित्रो क्षमा करे मन की बात रखने को रचना को शीर्षक नकारात्मक देना पड़ा =क्योंक़ि कुछ दहेज़ से डरे लोग यही सोचते भी है तो कुछ बेटियों को बोझ समझ पैदा करने वाले भी सोचते है यह बोझ जितनी जल्दी उतारे अच्छा ,"वसे मेरी एक राय है क़ि बेटी का रिश्ता करना है है तो लड़का क्या करता है ,उसका ख़ानदान कैसा है क्या आदते है उसकी ये तो देखें ही पर इन सबसे जरुरी एक बात और देखें क़ि ससुराल में बेटी क़ि कोई ननद भी है क़ि नहीं कसम खा लीजिए जहाँ ननद नही है वहां बेटी का रिश्ता नहीं करेगे बस फिर सभी एक सुर में कहेंगे मुझे बेटी चाहिए क्योकि मुझे बहु भी चाहिए ------मलकीत सिंह" जीत "
बंडा शाहजहाँ पुर
9918826316
बहुत ही अच्छी और मन को झकझोरने वाली कविता कही आप ने .....
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही भावमय करते शब्दों का संगम
जवाब देंहटाएंविचारणीय पोस्ट!
जवाब देंहटाएंअंग्रेजी का शब्द पुष्टिकरण तो हटाइए। तभी तो कमेंट आयेंगे,
वरना कोई इतने झमेले में क्यों पड़ेगा?
लोग आयेंगे और पोस्ट पढ़कर निकल जाएँगे!
बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंहर एक शब्द दिल को छू गई! बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! बधाई!
जवाब देंहटाएंआदरनीय अवन्ती सिंह जी सदा जी शास्त्री जी प्रेम जी बबली जी आप सभी हौसला बढ़ने इस मंच पर आये, आभार
जवाब देंहटाएंआगे भी आपकी प्रतीक्षा रहेगी
हमारे समाज की मानसिकता आपने बखूबी पेश की है!...बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंसकारात्मक सन्देश देती पोस्ट .औरत मर्द का विषमतर होता अनुपात एक दिन समाज को रोक कर पूछेगा -इस दश्त में एक शहर था वो क्या हुआ ..........
जवाब देंहटाएंआपने लोगों की मानसिकता का सही सही चित्रण किया
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना बधाई
आदरनीय सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसकारात्मक प्रयास। सराहनीय
जवाब देंहटाएंकाश हम सब इस गंभीर मसले पर ईमानदारी से सोचें...
Malkitsinghji,aapke tippadi form men hindi translitraton kam nahin kar rha hae
जवाब देंहटाएंWell...I appreciate your efforts!
जवाब देंहटाएंBehtarin vyangya yukt kavita. Sachmuch ladkiyon ke prati samaj ki mansikta rugan hai. Aapne achha vishay uthaya hai.
जवाब देंहटाएंसकारात्मक प्रयास. एक अच्छी मुहीम. शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना!
जवाब देंहटाएंसकारात्मक प्रयास। सराहनीय
जवाब देंहटाएंमैं तो कहती हूं जिसे नहीं चाहिए बेटी, उसे न ही दो, न बेटी, न बहू
जवाब देंहटाएंsarahniya aur sarthak prayas ke liye aapko bahut bahut badhai
जवाब देंहटाएंbahut bahut bahut umda rachna
aabhar
सकारात्मक और भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई.
बिटिया रानी
जवाब देंहटाएंमत कराइये फिर एहसास
किस सुख से मन वंचित है
एक कसक; घनीभूत पीड़ा
ह्रदय में मेरे संचित है !
यूँ तो भरा-पूरा है जीवन, संसार मेरा
सपूतों की जननी, मस्तक गर्वित मेरा
पायल की रुनझुन,कुमकुम,कज़रे की धा
हाथों पर मेहंदी, खूब करती उसका श्रृंगार.....
नैनों में सपन सँजोए
बाट जोहे प्रसूता
विधि आँख-मिचौनी खेले
मन रह जाए बस रीता !
कहीं गर्भ में दस्तक दे
जब प्यारी बिटिया रानी
भ्रूण-हत्या को बेबस, मूक
जुल्म सहती, अबला नारी ?
ना ढांपो इस कुरूपता, इस कलुष को
आवाज़ दो अपने विवेक, संवेदना को
मत घोटो साँसे, जन्म से पहले बेटी की
वही बनेगी सुनीता विलियम्स, वही किरण बेदी !
-सुशीला श्योराण
like the title
जवाब देंहटाएंमुझे नहीं चाहिए बेटियां ?
क्या जरुरत है ,मुझे बेटी की
thoughtful poem
nadan hain wo log jo beti nahi chahte beti ke bina to jindgi adhuri hoti hai.
जवाब देंहटाएंI appreciate your thougts.
जवाब देंहटाएंbetiyon ko kokh me marna bhut aasan hai par logo use paalna bhut mushkil lagta hai.. shayad ye hamari sadiyo se chali aa rhi paramparao ka natija hai...
pls keep writing... Thanks
http://anuragisuman.blogspot.com/2011/11/blog-post.html