रक्त दान महा दान

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रविवार, 6 नवंबर 2011

नारी शिक्षा - हिंदी क्षणिकाएं



बेटी पढ़ी लिखी जो आये,

घर दुनिया को स्वर्ग बनाये





(photo with thanks from google/net)



हम चाहें जो

दूर सितारों से भी जाये

कल की पीढ़ी,

खूब पढाओ नारी

मानो उसको स्वर्ग की सीढ़ी .


जननी जो पढ़ लिख

घर आये

मुन्ना मुन्नी वेद पढाये .


परचम लहराना जो दुनिया

अब से रोज पढ़ना मुनिया.


अगर हमें अपनी आगे की पीढ़ी को बनानी है तो बेटियों को आगे लायें आत्म निर्भर बनाएं जैसे आज का शिशु कल बाप है हमारी बेटियाँ भी कल हमारी जननी हैं ,जननी तो गुणी और शिक्षित आत्म निर्भर होगी , कोई वजह नहीं की कल घर समाज देश विश्व राह से भटके ............

सुरेंद्रशुक्लाभ्रमर १६.२.२०११ जल (पी.बी.)

11 टिप्‍पणियां:

  1. आदरनीय भ्रमर जी ,हमारे पंजाबियों में एक कहावत है ,पुत (बेटे )वंडोंन (बाटते) जमीन,धीयाँ (बेटियां ) दुःख वंडोदियां (बाँटती)ने (है ) ,ओउर ये सच भी है इस नाते भी हमारा फ़र्ज़ बनता है उन्हें सु शिक्षित करने का ,इस सार्थक रचना से आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है
    व् आभार

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  2. धन्य भाग्य हमारे हम भी आप के इस प्रयास में शामिल रहेंगे मलकीत भाई और कुछ पंजाबी भी सीखेंगे ..सच कहा आने बेटियाँ बुरे वक्त में बड़े काम आयी हैं
    बहुत बहुत आभार आप का
    भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  3. बेटी पढ़ी लिखी जो आये,

    घर दुनिया को स्वर्ग बनाये.very nice.

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीया निशा महाराणा जी ..अफसर पठान जी बहुत बहुत आभार आप का प्रोत्साहन हेतु ...अपना स्नेह बनाये रखें
    भ्रमर ५
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
    भ्रमर का दर्द और दर्पण


    आदर्णीय धीरेन्द्र जी http://dheerendra11.blogspot.com/2011/11/blog-post_07.html#links ......बहुत सुन्दर मन तो कहता है इस रचना को चुरा ले जाऊं http://ekprayasbetiyanbachaneka.blogspot.com/ बेटियाँ बचाने के एक प्रयास में मलकीत जी के ब्लॉग पर ....बहुत सुन्दर रचना ..
    मन खुश सोचने को मजबूर करती रचना
    आभार
    भ्रमर ५

    नन्हे नन्हे पैरों से चलने की आहट
    हंसना रोना और उसकी खिलखिलाहट,
    गोद में उठाकर लोरी सुनना
    उंगली पकडकर चलना सिखाना
    तोतली जबान से कुछ कहने की चाहत

    ८ नवम्बर २०११ ६:२१ पूर्वाह्न

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. भ्रमर जी आपको ज्ञात हो ही गया हो गा की आपको सहयोगी रचनाकार के रूप में ही नहीं इस ब्लॉग को सजाने सवारने की जिम्मेवारी में भी शामिल किया जा चूका है पूर्ण विश्वास है की आप इस जिम्मेवारी से भी मुकरेंगे नहीं
    अपने छोटे भाई पर कृपा बनाये रक्खेगे
    वैसे अब आप चाहे तो मुझे ही इस ब्लॉग से बाहर कर सकते है हा हा ह.............

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  7. आज हर औरत की दुश्मन खुद औरत है, क्योंकि उसके अंदर एक कुंठा रहती है..की अगर उसे उसकी मनमर्जी जिंदगी जीने को नहीं मिली तो वो किसी और को भी नहीं जेने देगी..पर वो ये कभी नहीं सोचती की अगर उसे आज़ादी नहीं मिली तो वो अपनी बेटी या बहु को तो कम से कम जीने की आज़ादी दे...पर ये सब तो तब होगा जब उन्हें समझ होगी और वो समझ की कमी आजकल हर औरत में है..पहले हमें उस समझ का विकास करना होगा..........
    बहुत अच्छी रचना है सर...बहुत खूब

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  8. प्रिय मलकीत भाई अभी न दैन्यं न पलायनम में प्रवीण पाण्डेय जी से पढ़ा की मूल सन्देश बहुत ही महत्वपूर्ण है बाकी सब कोलाहल ...इसलिए अब अधिक सजने संवारने के पीछे जाने का मन नहीं करता ....लोड बहुत बढ़ जाता है ब्लॉग खुलने की गति धीमे ..वैसे जितना जरुरी होगा आप सलाह ....
    रही बात भगाने की तो मूल हमेशा प्यारा सम्माननीय सो आप हैं ही धीरेन्द्र जी को भी आप लाये आभार
    ऐसे ही हम भी कहीं आप को जिम्मेदारी दे देंगे ...ह हा लिखते रहिएगा
    गुरु पर्व की बधाइयाँ
    भ्रमर ५
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

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  9. प्रिय अर्चना जी बहुत सुन्दर विचार और कथन आप के ..काश हमारे समाज की सारी महिलाओं के मन में ये ज्योति आप सी जाग जाए ..
    बहुत बहुत आभार आपका
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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  10. आदरणीय भ्रमर जी आपकी अमूल्य राय पर अमल करते हुए दो तीन विजेट हटा दिए है ,अनुभवी लोगो से जुड़ने का यही तो फायदा मिलता है उचित मार्गदर्शन के किये धन्यवाद

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