वजूद.....

जिन्दगी के
हर जशन को अधूरा पाओगे
अगर बेटियों के आगमन से
इतना कतराओगे,जीवन का ये अनमोल सुख
कैसे पाओगे,काश-
तुम्हारे एक बेटी होती
प्यार से उसका नाम रखते ज्योति,
सहमी सहमी सिमटी सी
गुलाबी कपड़ों लिपटी सी
गुलाबी कपड़ों लिपटी सी
टुकुर टुकुर निहारती,
जैसे बेरहम दुनिया को देखना चाहती
उसका हंसना बोलना और मुस्करानातुम्हारा प्यार से माथे को सहलाना,
गाल चूमकर नाम से बुलाते-
गोद में उठाकर सीने से लगाते-तो तुम्हरा दिल खुशियों से नाच उठता
कितनी ठंडक पडती कितना सकून मिलता,नन्हे नन्हे पैरों से चलने की आहट
हंसना रोना और उसकी खिलखिलाहट,
गोद में उठाकर लोरी सुननाउंगली पकडकर चलना सिखाना
तोतली जबान से कुछ कहने की चाहत
समाज के दोगली बातों से आहात
जैसे कहना चाह रही हो-?
बेटे और बेटी में इतना फर्क,
इसमें हम बेटियों का क्या कसूरएक बार हमारे पंख लगाकर के देखो
खुले आसमान में उड़ाकर के देखो-
हम क्या नहीं कर सकती॥?
लक्ष्मीबाई, से लेकर मदरटेरसा, तकइंदिरा गांधी,से लेकर कल्पना चावला तक
ये भी तो किसी की बेटियां थी,बेटियां समाज की धडकन होती है
दो कुलों के बीच रिश्ता जोड़कर-घर बसाती है
माँ बनकर इंसानी रिश्तों की,भावनाओ से जुडना सिखाती है
पर तुमने-?पर जमने से पहले ही काट डाला
शरीर में जान-?पड़ने से पहले ही मार डाला,
आश्चर्य है.?खुद को खुदा कहने लगे हो
प्रकृति और ईश्वर सेबड़ा समझने लगे हो
तुम्हारे पास नहीं है।
कोई हमसे बड़ा सबूत,
हम बेटियां न होती-?न होता तुम्हारा वजूद......
०००००००००००००००००dheerendra.....
मलकीत सिंह जी,..आपका अनुरोध मुझे स्वीकार है,
जवाब देंहटाएंएक प्रयास बेटियां बचाने का,के लिए मेरा पूरा सहयोग है,
मै फालोवर बन रहा हूँ आप भी बने....
बहुत सुन्दर संदेश दिया है आपने, आज भी लोग इतना फर्क करते हैं| हम विकसित बन गए हैं, और दिमाग वही रह गया है|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता!
बेटियां समाज की धडकन होती है
जवाब देंहटाएंदो कुलों के बीच रिश्ता जोड़कर-
घर बसाती है
माँ बनकर इंसानी रिश्तों की,
भावनाओ से जुडना सिखाती है
बेटियां समाज की धड़कन हैं।
बहुत सुंदर विचार।
इस प्रेरक कविता के लिए आभार।
आदरणीय dheerendra जी इस मंच को एक सार्थक रचना से अलंकृत करने के लिए धन्यवाद कृपया रचनाओ के सहयोग के साथ साथ अनुभवी होने के नाते सुझाव व् सकारात्मक आलोचनाओ की भी आपसे अपेक्षा की जाती है जिनसे हम बच्चे अपनी त्रुटियों को दूर कर सके
जवाब देंहटाएंताकि इस मंच को इसके उद्देश्य के मार्ग पर बढाया जा सके
साथ ही चन्दन जी व् महेंद्र वर्मा जी को विशेष आभार जो व्यस्तताओ से समय निकल कर इस साहित्य यात्रा पर आये. इश्वर आपकी साहित्य यात्रा हमेशा जारी रक्खे
वास्तव में वजूद की रक्षा के लिये लिखी, आत्म मंथन को बाध्य करती हुई सार्थक रचना.
जवाब देंहटाएंआदरणीय धीरेन्द्र जी हार्दिक धन्यवाद और स्वागत आप का ये रचना आप की इस मंच पर आई देख मन को सुकून मिल गया मलकीत भाई को भी आभार जो सादर आप का स्वागत किये ..
जवाब देंहटाएंअब ये रचना चोरी करने की जरुरत नहीं ....
भ्रमर ५
गुरु पर्व पर आप सभी मित्र मण्डली और हमारे प्यारे बच्चों को ढेर सारी हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
मलकीत जी,..-बेटी- पर एक बहुत सुंदर रचना भाई राजेंद्र स्वर्णकार जी की है
जवाब देंहटाएंउसको देखने के लिए मेरे मुख्य ब्लॉग काव्यांजली के -बजूद-रचना के टिप्पणी बॉक्स में मुझे भजे गए कमेंट्स में उनकी साइड मिल जायेगी,
आप बेटी रचना के लिए राजेंद्र स्वर्णकार जी संपर्क कर अनुरोध करे...
मेरा मो० नम्बर-9752685538
very inspiring creation.
जवाब देंहटाएंकोई हमसे बड़ा सबूत,
जवाब देंहटाएंहम बेटियां न होती-?
न होता तुम्हारा वजूद
.........सुन्दर संदेश दिया है आपने,
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
जब हम ये पंक्तियाँ पढ़ रहे होंगे उस वक़्त जाने कितनी अजन्मी बेटियाँ धरती पर आने से पहले ही परीलोक चली जा रही होंगी...कभी-कभी लगता है शायद अजन्मी बेटियाँ ही परी बन जाया करती होंगी जो न तो इस धरती पर न ही स्वर्ग-नर्क में जाना पसंद करती होंगी...अपने परीलोक में हर किसी से जुदा....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक रचना !
जवाब देंहटाएंघर की रौनक है
देश का गौरव है बेटियाँ !
बहुत सुंदर सार्थक रचना साथ ही बेटी बचाओ का आपका यह प्रयास बहुत अच्छा लगा। अगर यूं ही प्रयास होते रहे तो उम्मीद है एक दिन जागरूकता ज़रूर आएगी
जवाब देंहटाएंबटियां तो हमें जान से प्यारी हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक रचना... आपका यह प्रयास बहुत अच्छा लगा. शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंRajeev.B.Asthana Bhilai(CG)sparivar is yagya mae shmikl hae...................
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